Pentecost 4 June 2017 (Hindi)
हर गाँव और
हर मुहल्ले में प्रार्थना समूह अभियान
पेन्तिकोस्त
कलीसिया का जन्मदिन है जिस दिन तीन हज़ार बपतिस्मे से उसकी शुरुवात हुई थी
पेंतिकोस्त 4 जून 2017
1.
परमेश्वर ने आदेश दिया कि जिस नगर में मैंने
तुम्हे बंधुआ बनाकर रखा है उसके हित के लिए प्रार्थना प्रयास करना क्योंकि उसके
हित में तुम्हारा हित है l येर्मियाह
29:7
2.
प्रभु ने कहा कि मेरा घर सब जातियों के लिए
प्रार्थना का घर कहलायेगा l मरकुस
11:17; येशायाह 56:7
3.
पौलुस ने कहा कि मैं प्रभु का याजक होकर
अन्य जातियों को जीवित क़ुरबानी की तरह चढ़ाता हूँ I रोमिओ 15:16
4.
पवित्र शास्त्र कहती है कि परमेश्वर
मनुष्यों के हांथों से बनाये पत्थरों के गिरिजाघर में नहीं रहता l उसने अपने हांथों से मनुष्य
को अपना जिन्दा मंदिर बनाया है और उनके दिल में रहता है l प्रे.के
काम 7:48,49; 2 कुरु. 6:16
5.
प्रभु ने कहा जहाँ दो या तीन उसके नाम से
इकट्ठे होतें हैं वहां वे उपस्थित होते हैं l मत्ती 18: 20
6.
परमेश्वर ने कहा की मुझ से मांग, और मैं जाति जाति के लोगों को तेरी निज
सम्पत्ति होने के लिथे, और दूर दूर के देशों को तेरी निज
भूमि बनने के लिथे दे दूंगा। भजन 2:8
7.
प्रभुजी भटके हुओं को खोजने और उनका उद्धार
करने के लिए इस दुनिया में आये थे l लूका 19 :10
8.
प्रभुजी
ने बताया कि एक पापी के उद्धार से स्वर्गदूत जितना स्वर्ग में आनंद विभोर होकर
ख़ुशी मनाते हैं उतना वे निन्नानवे घिसे पिटे ईसाइयों की आराधना से उत्साहित नहीं
होते l लूका 15 :7,10
9.
जब लोगों ने उन पर एक ही जगह में रहने के
लिए दबाव डाला तो उन्हों ने अपने शिष्यों से कहा कि चलो दूसरे गांवों और नगरो में
भी राज्य का प्रचार करने चलें क्योंकि मैं इसी लिए भेजा गया हूँ l मरकुस
1:38; लूका 4:43
10.
प्रभुजी ने कहा कि फसल तो तैयार है लेकिन
मजदूर थोड़े हैं इसलिए खेत के मालिक से मजदूरों को भेजने के लिए प्रार्थना और
प्रयास करो l
लूका 10:1,2
11.
प्रभु ने अपने शिष्यों को मनुष्यों के मछुआरे बनाकर भेजा कि
जाकर सब जातियों को शिष्य बनाओ, उन्हें बप्तिस्मा देकर
आज्ञाकारी बनाओ l शिष्यों ने जाकर दुनिया को उलट पुलट कर
दिया l मत्ती 28:19; प्रे.काम 17: 6
12.
भारत में तकरीबन 100 करोड़ लोग 6 लाख 40 हजार
गाँव;
4 लाख ज़ुग्गी-झोपड़ियाँ, तथा 500 शहरों में
रहते हैंl
13.
भारत में तकरीबन 5 करोड़ मसीही हैं जिन में
से चंद लोग ही निपुण मनुष्यों के मछुवारे कहलाने के योग्य हैं l
14.
प्रभु ने स्वर्गारोहण के समय हमें अपना
अन्तिम और अहम् आदेश दिया कि तुम पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से येरूशलेम, यहुदिया,
समरिया और पृथ्वी कि छोर तक मेरे गवाह होगे l प्रेरितों
के काम 1: 8
15.
दुःख की बात है कि इतनी बड़ी तादाद में मसीही
होते हुए भी,
मनुष्यों के मछुआरों के अभाव में अधिकाँश गांवों और झुग्गियों में
कोई गवाही नहीं है जहाँ पीड़ित लोग अपने दुखों से निजात प्राप्त करके परमेश्वर के
राज्य में प्रवेश करें l
16.
पौलुस ने येरूशलेम से लेकर इल्लिरिकुम (2000
किलोमीटर) तक प्रचार कर डाला l और कहा अब यहाँ कोई जगह
नहीं बची l मेरी तमन्ना यही है कि मैं वहां प्रचार करू जहाँ
मसीह का नाम नहीं लिया गया है l रोमि. 15:19,20; 23
17.
यदि आप मात्र रविवारीय भक्ति करते हैं और
फिर भटके हुओं का उद्धार कराने के बदले छै दिन की छुट्टी मनाते हैं; तो
सतर्क हो जाईये क्योंकि पवित्र शास्त्र के मुताबिक सही कलीसिया वो है जहाँ
विश्वासिओं को अपने कार्यस्थल में प्रभावशाली तरीके से सेवा करने के लिए प्रेरिताई
प्रशिक्षण मिलता है l इफि. 4:12
18.
हालाँ कि हर एक मसीही को पता है कि प्रभुजी
शीघ्र न्याय करने आ रहे हैं और सबसे पहिले गुनगुने और बेफल नामधारी ईसाईयों का
सख्ती से फैसला करेंगे फिर भी अत्यंत खेद की बात है कि अधिकांश मसीही चर्च की
बेंचों को बेफिक्र गरम कर रहें हैं l बेबिलोनी यानि “आओ और
बेंचों को गरम करो’’ कलीसिया से निकल कर नए नियम की प्रेरिताई यानि “जाओ और शिष्य
बनाओ” कलीसिया का निर्माण करें l प्रका. 3:16; 18:4; 20:4;
1 पत. 4:17 -19
19.
प्रभु ने आपको अपने बहुमूल्य खून से खरीदकर
याजक और राजा बनाया है l इसलिए अत्यंत जरुरी है कि आप राजपदधारी
याजक की भूमिका तत्परता से अदा करें याने दूसरी, तीसरी, और चौथी
पीढ़ी के राजपदधारी याजक तैय्यार करना शुरू कर दें, वरना
प्रभु की क़ुरबानी आपके लिये, आपके परिवार और कलीसिया के लिए
व्यर्थ हो जाएगी l प्रका. वा. 1:6; 5:
9,10; 1 पतरस 2:9; 2 तिमोथी 2:2
20.
प्रभु ने सख्त हिदायत दी है कि हरएक
बिश्वासी के मात्र प्रभु, प्रभु कहने से, या ज्ञान से या सामर्थ्य के काम से नहीं, और न अपनी
धार्मिकता से, बल्कि अपने फलों से पहचाना जायेगा; याने जीती हुई आत्माओं से l
क्योंकि हमारी सारी धार्मिकता गंदे चिथड़े के समान है l मत्ती 7:16-23; लूका 15:7,10; याकूब
5 :20; यशा. 64:6; योहन्ना 15:16
21.
यदि आप के पास जीती हुई आत्माएं नहीं हैं तो
शीघ्र दो या तीन का झुंड बनाकर किसी गाँव या मुहल्ले को गोद में लेकर शांति के
संत्तान के घर में प्रार्थना समूह तैय्यार करें l नए
नियम की कलीसिया के लिये मंदिर, पुरोहित, या रविवारीय भक्ति की जरुरत नहीं होती क्योंकि प्रत्येक बिश्वासी याजक और
जीवित मंदिर है l 1कुरु. 3: 16; 6:19
22.
शांति के संतान को खोजने का सबसे सरल तरीका
यही है कि उस क्षेत्र का तड़के सुबह प्रार्थना परिक्रमा करके धार्मिक, सामाजिक
और सांस्कृतिक गढ़ों को प्रभु के नाम से ढा दीजिये और शीघ्र शांति का संतान आपको अपने
घर में आने का निमंत्रण देगा l बस उसी घर में भोजन की संगति,
प्रेरितीय शिक्षा, प्रार्थना और सामर्थ्य के
काम से शिष्य बनाने का काम शुरू कर दीजिये l शिष्य वो है जो
शिष्य बनाता है और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सारी कीमत पटाने को तैय्यार रहता
है l मत्ती 10:28-30; लूका १०: 1-10;
14:27, 33; प्रेरितों के
काम 2: 42-47; युहन्ना 15:8
23.
प्रभजी ने अपने निवास स्थान में गृह कलीसिया
के निर्माण करने का उम्दा मिसाल दिया. उन्होंने यहुन्ना के दो शिष्यों को अपने घर
में प्रशिक्षण देकर भेजा और उन्होंने तुरंत अन्य शिष्य बनाने की प्रक्रिया शुरू कर
दी l
युहन्ना 1:35:46
24.
स्थानीय अगुवा तैय्यार करके आगे बढ़ जाइए और
फिर से नए स्थानों में इसी तरह से नए प्रार्थना समूह का निर्माण करते जाइये l बाइबिल
में दी गयी इस पद्धति की पहचान ये है कि आप की कलीसिया में प्रति दिन नयी नयी
आत्माएं जुड़ती जाएँगी और जल्द भारत के हर गाँव और मुहल्ले में परमेश्वर की महिमा
होने लगेगी l प्रका. वाक्य 2 : 47
25.
यदि आप प्रभु की आज्ञानुसार फसल नहीं काटते
तो प्रभु को कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मेमने की जीवन की
किताब से आपका नाम कट जाने से क़यामत के दिन आपको बहुत फर्क पड़ जायेगा क्योंकि
प्रभु अपने फरिश्तों से फसल कटवा लेंगे और जो बच जायेगा उसकी लवनी करने के लिए वे
खुद अपने हांथों में चोखा हसुआ लेकर आ रहे हैं l मत्ती
13:39-41; युहन्ना 4:35; प्रका. 14:
14-15
26.
आप का लक्ष्य – हर एक मसीही को गाँव या
मुहल्ले को गोद में लेने के लिये प्रोत्साहित करें ताकि भारत प्रभु की महिमा के
ज्ञान से ऐसा भर जाये जैसे समुद्र जल से भरा है ताकि हर जाति और भाषा के लोग
राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के 1000 वर्ष के महिमापूर्ण राज्य में अनंत
जीवन का सुख पायें l हब. 2:14; प्रका. 7: 9,10; 20:1-3
शालोम ....खास
गीत – भारत के कोने कोने में गूँज रहा येशु का नाम…….
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